उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के एक छोटे से गांव की गलियों से उठकर शशिकला चौरसिया (50 वर्ष) की कहानी सीधे दिल और पेट तक पहुंचने का सफर है। उनके हाथों का जादू ऐसा चला कि उनके स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका और दुबई जैसे देशों तक भी फैल गई। हमेशा से ही खाने बनाने में माहिर रहीं शशिकला के पड़ोसी और आस-पास के लोग उनके लजीज खाने के दीवाने थे। उनके हाथों का बना हर व्यंजन, चाहे वो सुबह का नाश्ता हो, दोपहर का लंच या फिर शाम की गरमागरम रोटी-सब्जी, उंगलियाँ चाटने को मजबूर कर देता था।
2016 में उनके गांव में 4G इंटरनेट की रफ्तार दौड़ी तो उनके बेटों ने एक अनोखा विचार किया। ये वो दौर था जब यूट्यूब पर खाना बनाने के चैनल तेजी से लोकप्रिय हो रहे थे। अपने मां के हाथों के जादू को दुनिया के साथ बाँटने का ख्वाब लिए उन्होंने शशिकला को यूट्यूब पर अपना चैनल बनाने का सुझाव दिया। पहले तो शशिकला कैमरे के सामने आने में थोड़ा हिचकिचा रहीं थीं। आखिरकार सालों से घर की रसोई संभालने वाली शशिकला के लिए ये एक नया और अनजान अनुभव था। लेकिन बेटों के प्यार और प्रोत्साहन ने उन्हें एक नई दुनिया में कदम रखने का हौसला दिया। इस तरह से शुरू हुआ उनका यूट्यूब चैनल “अम्मा की थाली”।
चैनल के नामकरण में भी शशिकला के बेटों ने खास ध्यान दिया। ढेर सारे नाम सोचने के बाद आखिरकार “अम्मा की थाली” नाम चुना गया। ये नाम न सिर्फ घर के खाने की गर्माहट को दर्शाता था बल्कि हर घर में मां के प्यार से सराबोर थाली की याद दिलाता था। पहले वीडियो में शशिकला ने मीठे से बूंदी की खीर बनाई। उनकी सादगी और सहज अंदाज़ में खाना बनाने का तरीका बताना दर्शकों को बहुत पसंद आया। धीरे-धीरे उनके चैनल पर तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों की कड़ी लगती गई। लजीज छेने का कचौड़ी हो या दादी मां की स्पेशल दाल, हर रेसिपी को इतनी आसानी से समझाती थीं शशिकला कि मानो वो अपनी रसोई में ही खड़े होकर हमें खाना बनाना सिखा रही हों।
कुछ ही समय में उनका “आम का अचार” बनाने वाला वीडियो वायरल हो गया और देखते ही देखते “अम्मा की थाली” चैनल दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने लगा। शशिकला की खासियत यही थी कि वो अपने व्यंजनों में ना सिर्फ स्वाद का तड़का लगाती थीं बल्कि हर रेसिपी के साथ बचपन की यादों या त्योहारों से जुड़े किस्से भी शेयर करती थीं। ये कहानियां उनके खाने में एक अलग ही जादू घोल देती थीं, जिससे दर्शक ना सिर्फ खाना बनाना सीखते थे बल्कि उनके साथ जुड़ाव भी महसूस करते थे।
आज लाखों लोग “अम्मा की थाली” के सब्सक्राइबर हैं। शशिकला चौरसिया अब “अम्मा” के नाम से जानी जाती हैं। उनकी सादगी, उनका प्यार भरा अंदाज और लाजवाब रेसिपीज़ लोगों को दिल से रिझा लेती हैं। शशिकला चौरसिया की कहानी हमें यही सीख देती है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। अगर हमारे अंदर जुनून है और कोई खास हुनर है तो हम कभी भी सफलता की ऊंचाइयों को तो हम कभी भी सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। शशिकला चौरसिया की कहानी ये भी बताती है कि इंटरनेट की ताकत किसी को भी दुनियाभर में पहचान दिला सकती है, बस जुनून और जज्बा होना ज़रूरी है |