पंडित प्रदीप मिश्रा आज एक जाना-माना नाम हैं। लाखों लोगों को अपनी मधुर वाणी और भक्ति से सराबोर करने वाले इस कथा वाचक की कहानी प्रेरणा से भरपूर है। यह कहानी है एक ऐसे शख्स की, जिसने गरीबी और संघर्षों से निकलकर सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है।
सीहोर की धरती पर जन्मे, भक्ति में डूबे बचपन
1980 में मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में जन्मे पंडित प्रदीप मिश्रा का उपनाम रघु राम है। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता स्वर्गीय पंडित श्री रामेश्वर दयाल मिश्रा एक साधारण व्यक्ति थे। वह चने का ठेला लगाकर और बाद में चाय की दुकान खोलकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। पंडित जी बचपन से ही अपने पिता के धंधे में उनकी मदद करते थे। हालाँकि, उनकी असली दिलचस्पी भक्ति और भजनों में थी। स्कूल के दिनों में ही उन्हें भजन-कीर्तन करते देखा जा सकता था।
गुरु का आशीर्वाद और कथा वाचक बनने का संकल्प:
भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा पंडित जी को सीहोर की ही एक महिला गीता बाई पराशर से मिली। गीता बाई जी ने ही उन्हें कथा वाचक बनने का मार्ग दिखाया। उन्होंने पंडित जी को इंदौर में गुरु दीक्षा लेने के लिए प्रेरित किया। वहां रु श्री विठलेश राय काका जी के सान्निध्य में उन्होंने दीक्षा प्राप्त की और पुराणों का गहन ज्ञान हासिल किया।
शिवालयों से शुरू हुआ कथा वाचन का सफर
अपने ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने की लालसा लिए पंडित जी ने शिव मंदिरों से कथा वाचन की शुरुआत की। यहां तक कि वे अपनी श्रद्धा से मंदिरों की साफ-सफाई भी किया करते थे। धढापन और मीठी वाणी से सराबोर उनकी कथा शैली ने धीरे-धीरे लोगों का दिल जीतना शुरू कर दिया। उनका सरल संदेश “एक लोटा जल समस्या का हल” लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। यही वह मुकाम था जहां से उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी। आज उन्हें “सीहोर वाले बाबा” के नाम से जाना जाता है।
शिवपुराण की कथावाचक के रूप में ख्याति
पंडित प्रदीप मिश्रा मुख्य रूप से शिवपुराण की कथा सुनाने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कथाएं न सिर्फ लोगों को जीवन का सार समझाती हैं, बल्कि कठिन परिस्थितियों से निकलने के उपाय भी बताती हैं। उनकी मधुर वाणी और प्रेरक शैली का जादू लाखों लोगों पर चलता है। यही कारण है कि उनके यूट्यूब और फेसबुक पर लाखों की संख्या में फॉलोअर्स हैं, जो उनकी कथाओं को बड़ी ही श्रद्धा से सुनते हैं।
हालिया विवाद
हाल ही में मध्य प्रदेश के चितावलिया गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में अव्यवस्था और श्रद्धालुओं की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के कारण पंडित जी विवादों में घिरे रहे। हालांकि, उनका कहना है कि कार्यक्रम का आयोजन पूरी तरह से व्यवस्थित तरीके से किया गया था।
प्रेरणा का स्रोत, पंडित प्रदीप मिश्रा
गरीबी और अभावों से निकलकर आज लाखों लोगों के आस्था का केंद्र बनना पंडित प्रदीप मिश्रा की कठिन परिश्रम और ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा का ही परिणाम है। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें सिखाती है कि कर्मठता और निष्ठा से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।