कुंवर सचदेव की कहानी उन अनगिनत कहानियों में से एक है, जो हमें सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत का एहसास दिलाती है। यह कहानी इस बात का सबूत है कि चाहे शुरुआत कितनी भी साधारण क्यों न हो, जुनून और मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
आज जिन्हें दुनिया “इन्वर्टर मैन ऑफ इंडिया” के नाम से जानती है, वही कुंवर सचदेव कभी अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बसों में यात्रियों को और घर-घर जाकर पेन बेचा करते थे। उनके पिता रेलवे में क्लर्क थे, उनकी कमाई इतनी नहीं थी कि वे कुंवर को प्राइमरी शिक्षा के बाद भी निजी स्कूल में पढ़ा सकें। सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हुए कुंवर का बचपन का सपना डॉक्टर बनने का था। मगर मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में सफलता ना मिलने से उनका यह ख्वाब अधूरा रह गया।
गली-गली बेचता था पेन
हालांकि, परिस्थितियों से हार मानने वाले कुंवर सचदेव नहीं थे। उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उन्होंने पेन बेचना शुरू कर दिया। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें एक केबल कम्युनिकेशन कंपनी में मार्केटिंग विभाग में नौकरी मिल गई। यहीं पर कुंवर की पैनी नजर ने देखा कि आने वाले समय में केबल बिजनेस तेजी से बढ़ने वाला है। इसी दूरदर्शिता से उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर 1994 में “सु-काम कम्यूनिकेशन सिस्टम” नाम से अपना पहला उद्यम शुरू किया।
कुंवर सचदेव की जिंदगी में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनके घर में लगा इन्वर्टर बार-बार खराब होने लगा। इससे तंग आकर उन्होंने खुद ही इन्वर्टर को खोलकर यह देखने का फैसला किया कि आखिर समस्या कहां है। इन्वर्टर खोलने पर उन्हें पता चला कि खराब क्वालिटी के सामान की वजह से ही यह दिक्कत आ रही है। यहीं से उनके दिमाग में एक नया आइडिया कौंधा। उन्होंने फैसला किया कि खुद ही बेहतर क्वालिटी के इन्वर्टर बनाएंगे।
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2000 करोड़ की कंपनी
1998 में उन्होंने “सु-काम पॉवर सिस्टम” नाम से एक नई कंपनी बनाकर इन्वर्टर बनाना शुरू कर दिया। जो जुनून उन्हें पेन बेचने में था, वही जुनून अब इन्वर्टर बनाने में लग गया। फर्क सिर्फ इतना था कि अब उनका लक्ष्य सिर्फ अपना खर्च चलाना नहीं, बल्कि लोगों को बेहतर प्रोडक्ट देना था। उनकी मेहनत रंग लाई और आज वही “सु-काम पॉवर सिस्टम” भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सोलर प्रोडक्ट्स की डिमांड को पूरा कर रही है। उनकी कंपनी के सोलर प्रोडक्ट इतने दमदार हैं कि पूरे 10 घंटे तक बिजली दे सकते हैं।
आज कुंवर सचदेव 2300 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं। उनकी कहानी हमें यही सीख देती है कि मुश्किलें रास्तों को मोड़ सकती हैं, लेकिन जज्बा और लगन से हमेशा मंजिल हासिल की जा सकती है। कुंवर सचदेव एक उदाहरण हैं कि कैसे साधारण से दिखने वाला सपना भी कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता से एक सफलता की कहानी बन सकता है। उनकी कहानी हमें यह भी बताती है कि जमीनी सोच और सही अवसर को पहचानना कितना महत्वपूर्ण होता है। पेन बेचने से इन्वर्टर किंग बनने का उनका सफर, जुनून और जमीनी सोच की एक बेहतरीन मिसाल है।